Buddha Vandana |buddha vandana with meaning

धम्म वंदना (Dhamma Vandana) बुद्ध धर्म में धम्म की स्तुति और श्रद्धा व्यक्त करने के लिए गायी जाने वाली वंदना है। यह त्रिरत्न (बुद्ध, धम्म और संघ) में से धम्म के प्रति श्रद्धा प्रकट करती है।

धम्म वंदना (Dhamma Vandana in Hindi)

नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासंबुद्धस्स (3 बार)

सुपटिपन्नो भगवतो सावक-संघो
धम्मं नमस्सामि।

स्वाखातो भगवता धम्मो
धम्मं नमस्सामि।

नियतं पतिपन्नो भगवतो सāvaka-sangho
धम्मं नमस्सामि।

धम्मो पंचांगिक वन्दनीय
धम्मं नमस्सामि।

यह वंदना धम्म के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करने के लिए बुद्ध अनुयायियों द्वारा नियमित रूप से गायी जाती है।

तिसरण और सील याचना

तिसरण (तीन शरण) याचना

बुद्धं शरणं गच्छामि।
(मैं बुद्ध की शरण में जाता हूँ।)

धम्मं शरणं गच्छामि।
(मैं धम्म की शरण में जाता हूँ।)

संघं शरणं गच्छामि।
(मैं संघ की शरण में जाता हूँ।)

दुतियं पि बुद्धं शरणं गच्छामि।
(दूसरी बार, मैं बुद्ध की शरण में जाता हूँ।)

दुतियं पि धम्मं शरणं गच्छामि।
(दूसरी बार, मैं धम्म की शरण में जाता हूँ।)

दुतियं पि संघं शरणं गच्छामि।
(दूसरी बार, मैं संघ की शरण में जाता हूँ।)

ततियं पि बुद्धं शरणं गच्छामि।
(तीसरी बार, मैं बुद्ध की शरण में जाता हूँ।)

ततियं पि धम्मं शरणं गच्छामि।
(तीसरी बार, मैं धम्म की शरण में जाता हूँ।)

ततियं पि संघं शरणं गच्छामि।
(तीसरी बार, मैं संघ की शरण में जाता हूँ।)


पाँच शील याचना

पाणातिपाता वेरमणि सिख्खापदं समादियामि।
(मैं प्राणियों की हत्या न करने का नियम लेता हूँ।)

अदिन्नादाना वेरमणि सिख्खापदं समादियामि।
(मैं बिना दिए हुए वस्तु न लेने का नियम लेता हूँ।)

कामेसु मिच्छाचार वेरमणि सिख्खापदं समादियामि।
(मैं गलत काम से बचने का नियम लेता हूँ।)

मुसावादा वेरमणि सिख्खापदं समादियामि।
(मैं झूठ न बोलने का नियम लेता हूँ।)

सुरा मेरय मज्ज पमादट्ठाना वेरमणि सिख्खापदं समादियामि।
(मैं नशीले पदार्थों से दूर रहने का नियम लेता हूँ।)


बुद्ध वंदना (इति पिसो गाथा)

नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासंबुद्धस्स (3 बार)

इति पिसो भगवा अरहं सम्मासंबुद्धो
विज्जाचरण संपन्नो
सुगतो लोकविदू
अनुत्तरो पुरुषदम्मसारथि
सत्था देव मनुस्सानं
बुद्धो भगवा।

अर्थ:

यह भगवान वास्तव में अरहंत (संपूर्ण पवित्र) हैं, वे पूर्णतः जाग्रत बुद्ध हैं।
वे ज्ञान और सदाचरण से परिपूर्ण हैं।
वे शुभ गति को प्राप्त हुए हैं।
वे सम्पूर्ण संसार को जानने वाले हैं।
वे अद्वितीय हैं और लोगों को प्रशिक्षित करने वाले हैं।
वे देवों और मनुष्यों के शिक्षक हैं।
वे पूर्णतः जाग्रत बुद्ध, भगवान हैं।

यह वंदना बुद्ध के महान गुणों का वर्णन करती है और बौद्ध अनुयायियों द्वारा श्रद्धा प्रकट करने के लिए नियमित रूप से उच्चारित की जाती है।

बुद्ध वंदना

(1) नमस्कार वंदना

नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासंबुद्धस्स (3 बार)


(2) इति पिसो भगवा गाथा

इति पिसो भगवा अरहं सम्मासंबुद्धो
विज्जाचरण संपन्नो
सुगतो लोकविदू
अनुत्तरो पुरुषदम्मसारथि
सत्था देव मनुस्सानं
बुद्धो भगवा।

अर्थ:
यह भगवान वास्तव में अरहंत (पवित्र) हैं, वे पूर्णतः जाग्रत बुद्ध हैं।
वे ज्ञान और सदाचरण से परिपूर्ण हैं।
वे सुगत (श्रेष्ठ गति को प्राप्त) हैं।
वे लोकविदू (संसार को पूर्णतः जानने वाले) हैं।
वे अद्वितीय शिक्षक और मार्गदर्शक हैं।
वे देवों और मनुष्यों के श्रेष्ठ गुरु हैं।
वे संपूर्ण रूप से बुद्ध (जाग्रत) भगवान हैं।


(3) बुद्ध की अष्ट दशशील विशेषताएँ

इतिपि सो भगवा:

  1. अरहं (अरिहंत – समस्त दोषों से मुक्त)
  2. सम्मासंबुद्धो (संपूर्ण ज्ञान प्राप्त करने वाले)
  3. विज्जाचरण संपन्नो (ज्ञान और सदाचरण से परिपूर्ण)
  4. सुगतो (शुद्ध और कल्याणकारी मार्ग पर चलने वाले)
  5. लोकविदू (तीनों लोकों को जानने वाले)
  6. अनुत्तरो पुरुषदम्मसारथि (श्रेष्ठ गुरु, जो मनुष्यों को मार्ग दिखाते हैं)
  7. सत्था देवमनुस्सानं (देवों और मनुष्यों के सर्वोच्च शिक्षक)
  8. बुद्धो (संपूर्ण रूप से जाग्रत)
  9. भगवा (गुणों से विभूषित)

(4) बुद्ध की नौ विशेषताएँ

1. अरहं – जो समस्त दोषों से मुक्त हो चुके हैं।
2. सम्मासंबुद्धो – जिन्होंने स्वयं पूर्ण ज्ञान प्राप्त किया है।
3. विज्जाचरण संपन्नो – जो ज्ञान और सदाचरण से युक्त हैं।
4. सुगतो – जो सद्गति को प्राप्त हुए हैं।
5. लोकविदू – जो संपूर्ण संसार को जानते हैं।
6. अनुत्तरो पुरुषदम्मसारथि – जो पुरुषों को सही मार्ग पर ले जाने वाले श्रेष्ठ सारथी हैं।
7. सत्था देवमनुस्सानं – जो देवों और मनुष्यों के शिक्षक हैं।
8. बुद्धो – जो संपूर्ण जाग्रत हैं।
9. भगवा – जो उत्तम गुणों से विभूषित हैं।


यह बुद्ध वंदना बुद्ध के दिव्य गुणों की स्तुति और उनकी शिक्षाओं के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए गायी जाती है। यह वंदना बौद्ध अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण है।

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